Prakriti

              

नित नए रंग दिखती,
यह है हमरी प्रकृति।

हर पल अपने अलग-अलग रूप,
कभी सूरज बन चमकती तो कभी बदल बन बरसती।

रंग बिरंगी फल फूलो से सजती,
सब की मन को है भाति।

छोटी सी चीटी हो या बड़ा सा हटी या हो खूंखार शेर,
सबको माँ जैसे संभालती।

आओ जनतं करे हम इसका,
यही प्राण हो हम सबका।

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